The Untold, Unheard and Unseen Story of Varanasi ( वाराणसी की अनकही, अंसुनी और अंदेखी कहानी ) - PART 01
उत्तर प्रदेश
- देश
का
सबसे
अधिक
आबादी
वाला
राज्य
- लंबे
समय
से
देश
का
पालना
रहा
है
आर्थिक, सामाजिक
और
राजनीतिक
विकास।
उपलब्ध
आँकड़े
महत्वपूर्ण
उपलब्धियाँ
दर्शाते
हैं
उत्तर प्रदेश
ने
आर्थिक,
सामाजिक
और
सांस्कृतिक
कल्याण
के
क्षेत्र
में
विशेष
रूप
से
तब
से
प्रगति
की
है
1990 के
दशक
की
शुरुआत
में।
हालांकि
विकास
के
लगभग
सभी
संकेतकों
में
राज्य
सबसे
निचले
राज्यों
में
बना
हुआ
है (मैथ्यू
एट
अल।,
2016; सीएसओ,
2015)।
लगभग
55 प्रतिशत
श्रमिक
अपने
लिए
कृषि
पर
निर्भर
हैं
आजीविका, जबकि
क्षेत्र
सकल
राज्य
घरेलू
उत्पाद
में
केवल
27.5 प्रतिशत
का
योगदान
देता
है।
यद्यपि
कृषि और
संबद्ध
गतिविधियों
से
श्रमिकों
का
एक
महत्वपूर्ण
बदलाव
हुआ
है,
ऐसे
अधिकांश
अवसर
आकस्मिक
प्रकृति
के
हैं
और
राज्य
में
अधिकांश
श्रमिकों
को
कम
आय
प्रदान
करते
हैं।
अर्थव्यवस्था
पर्याप्त मात्रा
में
अच्छी
गुणवत्ता
वाली
नौकरियां
सृजित
करने
में
उत्तर
प्रदेश
पिछड़ा
हुआ
है।
की
घटना
विगत वर्षों
में
संकट-प्रेरित
प्रवासन
में
वृद्धि
हुई
है,
जो
अभी
तक
एक
और
प्रमुख
मुद्दा
हो
सकता
है
राज्य में
रोजगार
के
अवसरों
में
सुधार
करके
आसानी
से
संबोधित
किया
गया।
1. कोई औद्योगीकरण नहीं
:
अगर आप वाराणसी को किसी और शहर जैसे की दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, कानपुर वगैरह से तुलना करेंगे तो आप पाएंगे कि वाराणसी न तो कोई फैक्ट्री है न ही इंडस्ट्री को प्रमोट करने के लिए कोई प्लान था 2014 से पहले।
2. उत्तर
प्रदेश
की
जनसांख्यिकी :- एक जटिल विषय है, जो गतिशील परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। उत्तर प्रदेश भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, और दुनिया का सबसे बड़ा उपखंड है। 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी आबादी लगभग 199,812,341 [1] है। यदि यह एक अलग देश होता, तो उत्तर प्रदेश चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और इंडोनेशिया के बाद दुनिया का पांचवां सबसे अधिक आबादी वाला देश होता। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या पाकिस्तान से अधिक है।[2] यहां का औसत जनसंख्या घनत्व 828 व्यक्ति प्रति किमी² यानी 2,146 प्रति वर्ग मील है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है, और इलाहाबाद राज्य की न्यायिक राजधानी के रूप में कार्य करता है। हिंदू और मुसलमान दोनों राज्य को एक पवित्र स्थान मानते हैं।
3.
भ्रष्टाचार:
अगर आप
वाराणसी
में
भ्रष्टाचार
के
बारे
में
बता
देंगे
तो
सयाद
ही
ऐसा
कोई
विभाग
होगा
जहां
पर
आपको
पैसे
दिए
बिना
काम
हो
सके
जैसे
की
1. कैंट रेलवे
सेशन
की
बात
करे
तो
आप
पाएंगे
कि
वहा
पर
गुड्स
यार्ड
में
सैयद
ही
कोई
बाबू
होगा
जो
कि
बिना
पैसे
के
लिए
आप
को
आप
का
गुड्स
हैंड
ओवर
कर
दे
2. आरटीओ ऑफिस
में
चले
जाएं
वह
पर
भी
आप
पाएंगे
कि
आप
का
सारा
काम
दलाल
के
मदद
के
बिना
नहीं
होगा
3. यही हालत
सिविल
अस्पताल
में
चले
जाएं
वह
पर
भी
आपको
सारा
चेक
अप
प्राइवेट
सेंटर
में
किया
जाएगा
कमीशन
के
आधार
पर
नतीजा ये
है
कि
आज
के
टाइम
सबसे
जायदा
यंग
अपना
कैरियर
बनाने
के
लिए
गवर्नमेंट
जॉब
के
पीछे
हा........क्यों
जबकी
पेंशन
पूरी
तरह
से
बंद
है,
मेडिकल
बेनिफिट्स
भी
खास
नहीं
है
लेकिन
उनको
पता
है
कि
सैलरी
जायदा
वो
भ्रष्टाचार
से
काम
लेंगे।
अगर आप
वाराणसी विकास प्राधिकरण
की
बात
करें
तो
आपको
जगह
जहां
पर
काम
करने
वाला
चपरासी
भी
एक
इंजीनियर
से
ज्यादा
कामता
है
अगर
आप
किसी
बाबू
या
इंजीनियर
का
घर
देखेंगे
तो
आप
कहेंगे
कि
ये
एक
विधायक
का
घर
है
4.
बनारसी मस्तमौला मजदूर ; अगर आप एक मजदूर जो कि वाराणसी में काम कर रहा हूं और एक दिल्ली, एनसीआर में काम करूं हा डोनो की आदत को तुलना करेंगे और पाएंगे की
1. वाराणसी का श्रम का कोई समय नहीं होता काम पर आने का
2. काम पर आएंगे 10 बजे के, फिर खैनी, गुटखा, पान मसाला, बिना मतलब का मीटिंग में शामिल हो जाएंगे
और शाम को 4 बज से घर जाने की तैयारी करने लगता है परिणाम ये होता है कि वो 8 घंटे में से 6 घंटे से ज्यादा कम नहीं करता है
... ज्यादा मजदूर या तो कम पीडीए लिखा है या बिलकुल नहीं जिससे कि आए दिन बिना बताए काम पर नहीं आएगा परिणामी उत्पादकता कम हो जाती है
5. बेरोजगारी की दर
: वाराणसी में सबसे ज्यादा होने की वजह से और उद्योगों की कमी होने के वजह से बेरोजगारी बहुत ज्यादा है...नतीजा यह है कि स्नातक युवा भी 15000 रुपये प्रति की सैलरी पर कम कराटे है।
अब चुकी वर्कर को कम सैलरी देना पड़ रहा है तो ओनर को ज्यादा प्रॉफिट हो रहा है....जदालोग होने की वजह से लोग परेशान हैं
यही वजह है कि हा अमीर दिन पर दिन आमिर हो रहा हा और गरीब, गरीब हो न रहा हा.
2014 के चुनाव के बाद विभिन्न क्षेत्रीय क्षेत्रों में वाराणसी की स्थिति में 60% से अधिक सुधार हुआ है
।
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